Durga Chalisa Pdf Download दुर्गा चालीसा पीडीएफ

Durga Chalisa PDF Download हेलो दोस्तों मेरे द्वारा आप लोगों को दुर्गा चालीसा की हिंदी में पीडीएफ प्रोवाइड की जा रही है जिससे आप पढ़ कर मां दुर्गा की स्तुति वंदना कर सकते हैं.

मां दुर्गा संपूर्ण जगत की जननी मानी जाती है और हम उनकी संतान हैं, आदि शक्ति मां जगदंबा की उपासना करने मात्र से ही हमारी संपूर्ण पाप कट जाती है

हम साल में दो बार इनकी आराधना धूमधाम से करते हैं. चैत्र और आश्विन में नवरात्र के अवसर पर इनकी पूजा पूरी तरह से धूमधाम से मनाते हैं

मां दुर्गा की पाठ करने से हमारे मन में संपूर्ण शांति की अनुभूति होती है. यहां हमने मां दुर्गा चालीसा हिंदी में प्रदान किए हैं जिससे आप ऑनलाइन पड़ सकते हैं साथ ही साथ उसकी पीडीएफ को भी डाउनलोड कर सकते हैं

डाउनलोड करने के लिए आपको सिर्फ डाउनलोड बटन पर क्लिक करनी है और आप इसकी पुस्तक को ऑनलाइन अमेजॉन से भी मंगा सकते हैं जिसका लिंक हम नीचे प्रदान करते हैं

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दुर्गा चालीसा लिरिक्स हिंदी में पीडीएफ
Durga Chalisa Lyrics In Hindi Pdf
PDF Nameदुर्गा चालीसा | Durga Chalisa PDF
PDF Size7 MB – 2.1 MB
LanguageHindi
CategoryReligion & Spirituality
Sourcewww.hindii.in
Download LinkAvailable ✔
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Maa Durga Chalisa Pdf – Durga Chalisa Pdf Download

Durga Chalisa Pdf Download दुर्गा चालीसा पीडीएफ

नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ 1 ॥
Namo Namo Durge Sukh Karani, Namo Namo Ambe Dukh Harani

निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी॥ 2 ॥
Nirakar Hai Jyoti Tumhari, Tihoun Lok Phaili Uujiyaari

शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥ 3 ॥
Shashi Lalaat Mukh Maha Vishala, Netra Lal Bhrikoutee Vikaraala

रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥ 4 ॥
Roop Maatu Ko Adhik Suhaave, Darshan Karata Jana Ati Sukh Paave

तुम संसार शक्ति लै कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥ 5 ॥
Tum Sansar Shakti Laya Keena, Palana Hetu Anna Dhan Deena

अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥ 6 ॥
Annapoorna Hui Tu Jag Pala, Tumhi Aadi Sundari Bala

प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥ 7 ॥
Pralayakala Sab Nashana Haari, Tum Gouri Shiv Shankar Pyari

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥ 8 ॥
Shiv Yogi Tumhre Gun Gaavein, Brahma Vishnu Tumhein Nit Dhyavein

रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥ 9 ॥
Roop Saraswati Ka Tum Dhara, Day Subuddhi Rishi Munina Ubara

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा॥ 10 ॥
Dharyo Roop Narsimha Ko Amba, Pragat Bhayi Phaad Ke Khamba

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥ 11 ॥
Raksha Kari Prahlad Bachaayo, Hiranyaykush Ko Swarga Pathayo

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥ 12 ॥
Lakshmi Roop Dharo Jag Maahin, Shree Narayan Anga Samahin

क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा॥ 13 ॥
Ksheer Sindhu Mein Karat Vilaasa, Daya Sindhu Deejey Man Aasa

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥ 14 ॥
Hingalaja Mein Tumhi Bhavani, Mahima Amit Na Jaat Bakhani

मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥ 15 ॥
Matangi Aru Dhoomawati Mata, Bhuvaneshwari Bagala Sukhdata

श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥ 16 ॥
Shree Bhairav Tara Jag Tarani, Chhinna Bhala Bhava Dukh Nivarini

केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी॥ 17 ॥
Kehari Vahan Soha Bhavani, Laangur Veer Chalata Agavani

कर में खप्पर खड्ग विराजै। जाको देख काल डर भाजै॥ 18 ॥
Kar Mein Khappar Khadaga Virajay, Jako Dekh Kaal Dar Bhajey

सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥ 19 ॥
Sohe Astra Aur Trishula, Jase Uthata Shatru Hiya Shoola

नगरकोट में तुम्हीं विराजत। तिहुंलोक में डंका बाजत॥ 20 ॥
Nagarkot Mein Toumhi Virajat, Tihoun Lok Mein Danka Baajat

शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे। रक्तबीज शंखन संहारे॥ 21 ॥
Shumbh Nishumbh Daanuv Tum Maare, Rakta Beej Shankhana Sanghaare

महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥ 22 ॥
Mahishasur Nrip Ati Abhimaani, Jehi Agh Bhar Mahi Akulaani

रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥ 23 ॥
Roop Karaal Kali ka Dhara, Sen Sahita Tum Tihin Samhara

परी गाढ़ संतन पर जब जब। भई सहाय मातु तुम तब तब॥ 24 ॥
Pari Gaarh Santana Par Jab Jab, Bhayi Sahay Matou Tum Tab Tab

अमरपुरी अरु बासव लोका। तब महिमा सब रहें अशोका॥ 25 ॥
Amarpuri Arubaa Sab Lokaa, Tab Mahima Sab Kahey Ashoka

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥ 26 ॥
Jwala Mein Hai Jyoti Tumhari, Tumhein Sada Poojey Nar Nari

प्रेम भक्ति से जो यश गावें। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥ 27 ॥
Prem Bhakti Se Jo Yash Gave, Dukh Daridra Nikat Nahin Aave

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥ 28 ॥
Dhyaave Tumhein Jo Nar Man Layi, Janma Maran Tako Chhouti Jaayi

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी। योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥ 29 ॥
Yogi Sur Muni Kahat Pukaari, Yog Na Hoye Bina Shakti Tumhari

Sunderkand PDF Download

शंकर आचारज तप कीनो। काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥ 30 ॥
Shankara Acharaj Tap Ati Keenho, Kaam Krodh Jeet Sab Leenho

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥ 31 ॥
Nishidin Dhyan Dharo Shankar Ko, Kaahu Kaal Nahin Soumiro Tumko

शक्ति रूप का मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥ 32 ॥
Shakti Roop Ko Maram Na Payo, Shakti Gayi Tab Man Pachitayo

शरणागत हुई कीर्ति बखानी। जय जय जय जगदम्ब भवानी॥ 33 ॥
Sharnagat Huyi Kirti Bakhaani, Jai Jai Jai Jagadambe Bhavani

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥ 34 ॥
Bhayi Prasanna Aadi Jagadamba, Dayi Shakti Nahin Keen Vilamba

मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥ 35 ॥
Maukon Maatu Kashta Ati Ghero, Tum Bin Kaun Harey Dukh Mero

आशा तृष्णा निपट सतावें। रिपू मुरख मौही डरपावे॥ 36 ॥
Asha Trishna Nipat Satavein, Ripu Moorakh Mohe Ati Darpaave

शत्रु नाश कीजै महारानी। सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥ 37 ॥
Shatru Nash Kijey Maharani, Soumiron Ikchit Tumhein Bhavani

करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला ॥ 38 ॥
Karo Kripa Hey Maatu Dayala, Riddhi Siddhi Dey Karahou Nihaala

जब लगि जिऊं दया फल पाऊं । तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥ 39 ॥
Jab Lagi Jiyoun Daya Phal Paoun, Tumhro Yash Mein Sada Sounaoun

दुर्गा चालीसा जो कोई गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥ 40 ॥
Durga Chalisa Jo Nar Gaavey, Sab Sukh Bhog Parampad Pavey

देवीदास शरण निज जानी। करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥ 41 ॥
Devidas Sharan Nij Jaani, Karahoun Kripa Jagadambe Bhavani

Durga Chalisa Aarti Pdf दुर्गा चालीसा आरती पीडीएफ

ॐ सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥

॥ श्री दुर्गा चालीसा ॥

नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो अंबे दुःख हरनी॥

निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूं लोक फैली उजियारी॥

शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥

रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥

तुम संसार शक्ति लै कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥

अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥

प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।
परगट भई फाड़कर खम्बा॥

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं॥

क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दयासिन्धु दीजै मन आसा॥

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी॥

मातंगी अरु धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥

श्री भैरव तारा जग तारिणी।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥

केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी॥

कर में खप्पर खड्ग विराजै।
जाको देख काल डर भाजै॥

सोहै अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥

नगरकोट में तुम्हीं विराजत।
तिहुँलोक में डंका बाजत॥

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे।
रक्तन बीज शंखन संहारे॥

महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अघ भार मही अकुलानी॥

रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥

परी गाढ़ सन्तन पर जब जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब॥

आभा पुरी अरु बासव लोका।
तब महिमा सब रहें अशोका॥

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥

प्रेम भक्ति से जो यश गावें।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥

शंकर आचारज तप कीनो।
काम क्रोध जीति सब लीनो॥

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥

शक्ति रूप का मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछितायो॥

शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥

आशा तृष्णा निपट सतावें।
रिपु मुरख मोही डरपावे॥

शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥

करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।

जब लगि जियऊं दया फल पाऊं।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥

श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।
सब सुख भोग परमपद पावै॥

देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥

॥ इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥

Durga Chalisa Pdf Download
दुर्गा चालीसा पीडीएफ

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